बैंगन एक पौष्टिक सब्जी है। इसमें विटामिन ए एवं बी के अलावा कैल्शियम, फ़ॉस्फ़रस तथा लोहे जैसे खनीज भी होते है। यदि इसकी उपयुक्त उत्तम क़िस्में तथा संकर किंस्में बोई जाए और उन्नत वैज्ञानिक सस्य क्रियाएं अपनाई जाएं तो इसकी फ़सल से काफ़ी अधिक उपज मिल सकती है।
बैंगन की क़िस्में
पूसा हाईब्रिड -5
पौधे की अच्छी बढ़वार तथा शाखाएँ ऊपर को उठी हुई होती है, फल मध्यम लम्बाई के, चमकदार तथा गहरे बैंगनी रंग के होते है। बुआई से पहली तुड़ाई में 85- 90 दिन लगते है। उत्तरी तथा मध्य भारत के मैदानी क्षेत्रों तथा समुद्र तट को छोड़ कर कर्नाटक, केरल, आन्ध्र प्रदेश, तमिलनाडु क्षेत्र के लिये उपयुक्त है। उपज 450 से 650 क्विंटल प्रति हेक्टेअर होती है।
पूसा हाईब्रिड-6
पौधे मध्यम सीधे खडे रहने वाले होते हैं। फल गोल, चमकदार, आकर्षक बैंगनी रंग के होते है, प्रत्येक फल का वजन लगभग 200 ग्राम होता है। बुआई से पहली गुड़ाई में 85-90 दिन लगते है। उपज 400-600 क्विंटल प्रति हेक्टेअर होती है।
पूसा हाईब्रिड 9
पौधे सीधे खडे रहने वाले होते हैं। फल अण्डाकार गोल, चमकदार बैंगनी रंग के होते हैं। प्रत्येक फल का वजन लगभग 300 ग्राम होता है । बुआई के पहली तुडाई में 85-90 दिन लगते है । गुजरात तथा महाराष्ट्र क्षेत्र के लिए उपयुक्त है । इसकी औसत उपज 500 क्विंटल प्रति हेक्टेअर है।
पूसा क्रान्ति
इस क़िस्म के फल गहरे बैंगनी रंग के मध्यम लम्बाई के होते है । यह क़िस्म बसन्त तथा सर्दी दोनों मौसमों के लिये उपयुक्त पाई गई है । इसकी औसत उपज 300 किंवटल प्रति हेक्टेअर है।
पूसा भैरव
इसके फल गहरे बैंगनी रंग के थोड़े मोटे व कुछ लम्बे होते है । यह क़िस्म फल-गलन रोग प्रतिरोधी है।
पूसा पर्पल कलस्टर
पौधें सीधे खडे रहने वाले होते है। पत्तियाँ रगंदार होती है। फल 9 से 12 सें०मी० लम्बे तथा गुच्छे में लगते है। यह क़िस्म पहाडी क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है। यह क़िस्म फल तथा तना छेदक, जीवाणु तथा उकटा रोग के लिए कुछ रोधक है।
पूसा अनुपम पौधे मध्यम तथा सीधे होते हैं। फल पतले, बैगनी रंग के होते हैं। फल गुच्छे में लगते है। यह क़िस्म उकठा रोग प्रतिरोधी है।
पूसा बिन्दु
इस क़िस्म के बैंगन छोटे,गोल और चमकदार होते हैं । जिनका रंग गहरा बैंगनी डंठल चित्तीदार होता है । यह क़िस्म 90 दिन में तैयार हो जाती है । औसत उपज 300 क्विंटल प्रति हेक्टेअर है । यह क़िस्म उत्तरी मैदानी क्षेत्रों के लिये उपयुक्त है।
पूसा उत्तम 31
इसके फल अण्डाकार गोल चमकदार, गहरे बैंगनी रंग और मझौले आकार के होते हैं । बुआई से पहली तुड़ाई में 85-90 दिन लगते हैं। औसत उपज 425 क्विंटल प्रति हेक्टेअर है । यह क़िस्म उत्तरी मैदानी तथा पश्चिमी क्षेत्रों के लिये उपयुक्त है ।
पूसा उपकार
इसके फल गोल चमकदार, गहरे बैंगनी रंग और मझौले आकार के होते हैं। फल का औसत वजन 200 ग्राम होता है । पहली तुडाई फसल बोने के 85 दिन बाद की जा सकती है । यह क़िस्म उत्तरी मैदानी क्षेत्र के लिए उपयुक्त है । इसकी औसत उपज 400 क्विंटल प्रति हेक्टेअर है ।
पूसा अंकुर
यह एक अगेती क़िस्म है जो बुआई की तारीख से 75 दिनों में फल तोडने के लायक हो जाते हैं । फल छोटे, गहरे बैंगनी , अण्डाकार गोल चमकीले होते हैं । इसकी औसत उपज 350 क्विंटल प्रति हेक्टेअर है ।
नर्सरी
इसके बीज उठी हुई क्यारियों में लगभग 1 सें०मी० की गहराई पर 5 से 7 सें०मी० के फासलों पर बनी कतारों में बोने चाहिएँ। एक हेक्टेअर क्षेत्र में रोपाई के लिये लगभग 400 ग्राम बीज पर्याप्त है। संकर क़िस्मों के बीज की मात्रा 250 ग्राम पर्याप्त रहती है। भारी आकार वाली क़िस्मों के लिये पंक्ति से पंक्ति की दूरी 70 सें०मी० तथा पौधों से पौधों की दूरी 60 सें०मी० रखी जाती है। छोटे आकार वाली क़िस्मों के लिये पंक्ति से पंक्ति तथा पौधे से पौधे की दूरी का फासला 60 x 60 या 60x 45 सें०मी० रखा जा सकता है।
बुआई
शरद फसल
इस फसल के बीज मई-जून में बोए जाते हैं और पौध रोपाई जून के अन्त से जुलाई के मध्य तक की जा सकती है।
बसंत-ग्रीष्म
इस फसल के बीज नवम्बर के मध्य में बोये जाते हैं और पौध जनवरी के अन्त में तब रोपी जाती है, जब पाले का भय समाप्त हो जाता है।
वषा ऋतु
इस फसल के बीज फरवरी- मार्च के महीनों में बोए जाते हैं और पौध की रोपाई मार्च-अप्रैल के महीनों में की जाती है।
खाद और उर्वरक
खाद व उर्वरक की मात्रा मिट्टी की जांच के आधार पर की गई सिफारिश के अनुसार रखनी चाहिए। जहां मिट्टी की जांच न की हो खेत तैयार करते समय 25-30 टन गोबर की सड़ी खाद मिट्टी में अच्छी तरह मिला देनी चाहिए। इसके साथ-साथ 200 किलो ग्राम यूरिया, 370 किलो ग्राम सुपर फ़ॉस्फ़ेट और 100 किलो ग्राम पोटेशियम सल्फ़ेट का इस्तेमाल करना चाहिए। यूरिया की एक तिहाई मात्रा और सुपरफ़ॉस्फ़ेट तथा पौटेशियम सल्फ़ेट की पूरी मात्रा खेत में आखिरी बार तैयारी करते समय इस्तेमाल की जानी चाहिए। बची यूरिया की मात्रा को दो बराबर खुराकों में देना चाहिए। पहली खुराक पौधे की रोपाई के 3 सप्ताह बाद दी जाती है जबकि दूसरी मात्रा पहली मात्रा देने के चार सप्ताह बाद दी जानी चाहिए।
पौध संरक्षण
रोपाई के 2 सप्ताह बाद मोनोक्रोटोफास 0.04 % घोल, 15 मि०ली० प्रति लीटर पानी का छिड़काव करें।
प्ररोह बेधक से प्रभावित फलों और प्ररोहों को जहां से तना मुरझाया हो उसके आधे इंच नीचे से काट दें और उन्हें ज़मीन में गाढ दें। खेतों को बेधकों से मुक्त रखने के लिए यह काम प्रति दिन करते रहे।
मोनोक्रोटोफोस के छिड़काव के 3 सप्ताह बाद डेसिस 0.005 प्रतिशत घोल या 1 मि०ली० प्रति लीटर पानी का छिड़काव करें। डेसिस के छिड़काव के 3 सप्ताह बाद ब्लिटाकस प्रति कैप्टान-2 ग्राम प्रति लीटर पानी और मिथाइल पेराथियोन -2 मि०ली० प्रति लीटर पानी का छिड़काव करे। अगर जैसिड की समस्या हो तो मिथाइल पेराथियोन का छिड़काव फिर से करें लेकिन मिथाइल पेराथियोन छिड़कने से पहले फलों को तोड़ लें।
प्ररोह बेधक से प्रभावित फलों और प्ररोहों को जहां से तना मुरझाया हो उसके आधे इंच नीचे से काट दें और उन्हें जमीन में गाड़ दें। खेतों को बेधकों से मुक्त रखने के लिए यह काम प्रतिदिन करते रहें।
मोनोक्रोटोफोस के छिड काव के 3 सप्ताह बाद डेसिस 0.005 प्रतिशत घोल या 1 मि. ली. प्रति लीटर पानी का छिडकाव करें। डेसिस के छिडकाव के 3 सप्ताह बाद ब्लिटाकस प्रति कैप्टान - 2 ग्राम प्रति लीटर पानी और मिथाइल परथिओन-2 मि. ली. प्रति लीटर पानी का छिड़काव करे। यदि जैसिड की समस्या हो तो मिथाइल पेराथियोन का छिडकाव फिर से करें लेकिन मिथाइल पेराथियोन छिडकने से पहले फलों को तोड लें।
कटाई
बैंगन के फल जब मुलायम हों और उनमें ज्यादा बीज न बनें हों तभी उन्हें तोड़ लेने चाहिए। ज्यादा बड़े होने पर इनमें बीज पड़ जाते हैं और तब ये उतने स्वादिष्ट नहीं रह जाते।
ek hactare me kitna munafa ho sakta hai agar bazar rate 20.00 per kg ho to..
जवाब देंहटाएंkheti ka pura estimate bhi dekhaye
जवाब देंहटाएंBagan k bary m
हटाएंMughe sardiyoke liye Uttam quality me been ka naam bataye mai uttar pradesh ke jhansi jila she hau
जवाब देंहटाएंAap phone no Dal to bat Kar sake
जवाब देंहटाएंAap phone no Dal to bat Kar sake
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